पसूका नदि. 24 नवं. 2019
राज्यपालों का 50 वां सम्मेलन आज राष्ट्रपति भवन में जनजातीय कल्याण और जल, कृषि, उच्च शिक्षा एवं जीवन की सुगमता पर बल दिए जाने के साथ संपन्न हो गया।
राज्यपालों के पांच समूहों ने इन विषयों पर अपनी रपट सौंपी और ऐसे बिन्दुओं की पहचान तथा उनपर गहन विचार विमर्श किया, जिन के संबंध में राज्यपाल एक मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं। सम्मेलन में जनजातीय कल्याण के विषय पर गहरी रूची दिखाई गई और बताया गया कि जनजातीय कल्याण की नीतियां स्थानीय आवश्य़ताओं के अनुरूप बनाई जानी चाहिएं।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन के 50 वें संस्करण के सफल समापन के लिए उपस्थित लोगों को बधाई देते हुए इस बात पर बल दिया कि भविष्य में समय के साथ विकसित होते हुए सम्मेलन के संस्थागत रूप को राष्ट्र के विकास और जनसामान्य की आवश्य़ताओं को पूरा करने पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। उन्होंने मूल्यवान सुझावों के साथ आने के लिए प्रतिभागियों की प्रशंसा करते हुए, राज्यपालों से, पहले नागरिक के रूप में, राज्य स्तर पर चर्चाओं को सक्षम बनाने का आग्रह किया ताकि उनकी स्थानीय परिस्थितियों की आवश्य़ताओं से जुड़ी सोच को पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ाया जा सके।
जनजातीय क्षेत्रों के विकास के संबंध में, प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी के उचित उपयोग और खेलों और युवाओं के विकास के लिए प्रगतिशील योजनाओं को अपनाने का आग्रह किया। प्रधान मंत्री ने 112 आकांक्षी जिलों, विशेष रूप से देश के जनजातीय क्षेत्रों में पड़ने वाले ऐसे जिलों की विकास की आवश्य़ताओं को पूरा करने के लिए, लक्षित हेकर काम करने को भी कहा। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि ऐसे जिलों का विकास राज्यों और देश के औसत विकास से तेज हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सम्मेलन में जल जीवन मिशन पर चर्चा स्थानीय आवश्य़ताओं के अनुरूप जल संरक्षण और जल प्रबंधन तकनीकों की सरकार की प्राथमिकताओं को दर्शाती है। विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के रूप में राज्यपालों की भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने उनसे युवाओं और छात्रों के बीच जल संरक्षण का अच्छा अभ्यास विकसित करने का अनुरोध किया। उन्होंने राज्यपालों से पुष्करम जैसे जल से जुड़े पारंपरिक त्यौहारों के संदेश को भी प्रचारित करने में सहयोग की अपील की।
नई शिक्षा नीति और उच्च शिक्षा क्षेत्र के संबंध में राज्यपालों की प्रमुख भूमिका पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वे विश्वविद्यालयों में ऐसी उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा में निवेश सुनिश्चित कर सकते हैं जो कम लागत वाले प्रभावी नवाचारों तथा प्रौद्येागिकी के उपयोग को बढ़ावा दे सकती है और हैकथॉन जैसे मंच का उपयोग करते हुए युवाओं में श्रीगणेश, संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ उनके लिए कार्य के अवसर पर भी पैदा कर सकती है।
आम लोगों के जीवन को सुगम बनाने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके लिए सरकारी संस्थाओं को एक ओर बाघितव्यवस्था और कई सारे नियम कानूनों के बीच संतुलन बनाना होगा और दूसरी ओर स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसे मूलभूत क्षेत्रों से संबंधित प्राथमिक आवश्य़ताओं उचित दरों पर उपलब्ध कराना भी सुनिश्चित करना होगा।
कृषि के संबंध में प्रधानमंत्री ने सामूहिक दृष्टिकोण का पालन करते हुए एक ऐसी कृषि अर्थव्यवस्था के विकास पर ध्यान केंद्रित करने पर बल दिया, जिसमें समाधान की स्थान हो। उन्होंने राज्यपालों से अनुरोध किया कि वे कृषि विश्वविद्यालयों की व्यवहारिक परियोजनाओं के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कृषि के क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रचलनों को अपनाने में सहायता कर सकते हैं।
सम्मेलन के समापन सत्र को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और गृह मंत्री ने भी संबोधित किया।
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दिसंबर के आरंभ में मिस्र से 6090 मी टन प्याज की आवक होगी, केन्द्र सरकार ने किया राज्यों का आंकलन
ReplyDeleteउपराष्ट्रपति ने मुंबई आतंकी हमले (26/11) के शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
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