आओ! फिर नया इतिहास रचें-१
जो विदेशी घुसपैठियों को समझ में आने लगा है, देश में कौन लोग हैं जिन्हें समझ नहीं आ रहा है। समझ कर क्यों जानबूझकर अनजान बन कर, समाज को भ्रमित कर, वातावरण बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इसके कारणों से निवारण तक यात्रा के लिए जुड़ें- युगदर्पण® २००१ के संग
नागरिकता संशोधन बिल, के निहितार्थ? स्वार्थ व इसमें अंधों का राष्ट्रघात, नकारात्मक सकारात्मक मीडिया की भूमिका। आइए इन बातों को समझें! इस निमित्त आरंभ, नई श्रृंखला देखेंं- आओ! फिर नया इतिहास रचें-१
युगदर्पण® मीडिया समूह के मुख्य समूह सम्पादक तिलक राज रेलन "आज़ाद" की कलम से-
नागरिकता सम्बंधित विधेयक पारित व लागू, व हिंसक विरोध।
अंततः चार दिन तक हिंसक विरोध के बाद असम और पूर्वोत्तर से बंगलादेशियों ने अपने देश वापस लौटना आरंभ कर दिया है, समझ में आ गया है कि नासंबि नागरिकता संशोधन बिल लागू होने के बाद, अब भारत की नागरिकता मिलना असम्भव है, अधिक दिन यहाँ रहे तो फिर बंगलादेश भी वापस लेने से मना कर सकता है। तब ऐसा न हो जाए कि धोबी का कुत्ता घर का न घाट का "Men of No Country" बनने की भी सम्भावना है। वोटबैंक के रूप में उपयोग के अतिरिक्त शेष कुछ रह नहीं गया है। इसलिए रातों रात बोरिया-बिस्तर समेटना आरंभ कर दिया गया है.!
रोहिंग्या और बंगलादेशी केवल इस आशा में भारत में घुसते आये हैं कि देर-सवेर वोटबैंक के भूखे स्थानीय छुटभैय्ये नेताओं के सहयोग से भारत की नागरिकता सहित विशेष अधिकार मिलते रहे हैं, व मिलते रहेंगे...।
नासंबि और रानापं में राष्ट्रीय नागरिकता पंजिका NRC ने इस सुविधा को समाप्त कर दिया है, अब सौ वर्ष भी भारत में रहोगे, तो भी नागरिकता मिलने वाली नहीं है, इसलिए निराश होकर वापस लौट रहे हैं...।
नासंबि और रानापं वो अचूक शस्त्र हैं जिसके कारण एक एक घुसपैठिया स्वयं ही वापिस लौट जायेगा, सरकार को न तो कोई बल उपयोग करने की आवश्यकता पड़ेगी और न ही उनकी वापसी के लिए एक रूपया व्यय करना पड़ेगा...।
घुसपैठियों को स्वत: वापस लौटने को विवश करने के लिए बहुत ही सोच समझकर, सरकार ने नागरिकता कानून बनाया है.!
और जो घुसपैठिये पहले ही नागरिकता लेकर हमारे आपके बीच में घुल-मिल गए हैं, उन्हें भी रानापं के माध्यम से चिन्हित करके वापस जाने के लिए विवश होना ही है।
हाँ जो भारतीय मुस्लिम हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी भारतीय हैं, उन्हें बिल्कुल चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है, सरकार उन्हें पूरा संरक्षण देगी और यह न्यायोचित भी है। सरकार देश को घुसपैठियों से मुक्त करना चाहती है, मुसलमानों से नहीं.! इतना समझने वाले देशभक्त मुसलमान तक भी, इस विधेयक का समर्थन करते हैं।
जिसका समर्थन वो सभी देशवासी करते हैं, जो देश से प्रेम करते हैं। तो फिर कौन लोग हैं जो इसके विरोध में धरना प्रदर्शन ही नहीं, सरकारी सम्पत्ति अर्थात हमारे कर दाताओं की सार्वजनिक सम्पत्ति को नष्ट करते हैं। ऐसे नमकहराम शत्रुओं की पहचान की आवश्यकता देखते हुए, कई वर्षों के पश्चात पुनः अपने पुराने ब्लाग लेखन की ओर मुड़ा हूं।
आइए इस विषय को ध्यान से पूरा पढ़ें, समझें व पूर्व की भांति, अग्रेषित कर १३० करोड़ भारतीयों तक पहुंचाएं। जो भ्रमित हैं, वे राष्ट्र के शत्रुओं को पहचान कर उनका साथ छोड़ सकें।
कृपया न तो कोई दुष्प्रचार फैलाए और न किसी गलत अफवाह पर कोई ध्यान दें। आप हिन्दू हों या मुस्लिम, यदि आप भारतीय हैं, तो नासंबि और रानापं से आपको ही लाभ है, क्षति नहीं.! इससे आपके रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और, देश अपराधमुक्त होगा, देश में सुख-शांति, अमन चैन लौटेगा।
जो विदेशी घुसपैठियों को समझ में आने लगा है, देश में कौन लोग हैं जिन्हें समझ नहीं आ रहा है। समझ कर क्यों जानबूझकर अनजान बन कर, समाज को भ्रमित कर, वातावरण बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इसके कारणों से निवारण तक यात्रा के लिए जुड़ें- युगदर्पण® २००१ के संग
नागरिकता संशोधन बिल, के निहितार्थ? स्वार्थ व इसमें अंधों का राष्ट्रघात, नकारात्मक सकारात्मक मीडिया की भूमिका। आइए इन बातों को समझें! इस निमित्त आरंभ, नई श्रृंखला देखेंं- आओ! फिर नया इतिहास रचें-१
नागरिकता सम्बंधित विधेयक पारित व लागू, व हिंसक विरोध।
अंततः चार दिन तक हिंसक विरोध के बाद असम और पूर्वोत्तर से बंगलादेशियों ने अपने देश वापस लौटना आरंभ कर दिया है, समझ में आ गया है कि नासंबि नागरिकता संशोधन बिल लागू होने के बाद, अब भारत की नागरिकता मिलना असम्भव है, अधिक दिन यहाँ रहे तो फिर बंगलादेश भी वापस लेने से मना कर सकता है। तब ऐसा न हो जाए कि धोबी का कुत्ता घर का न घाट का "Men of No Country" बनने की भी सम्भावना है। वोटबैंक के रूप में उपयोग के अतिरिक्त शेष कुछ रह नहीं गया है। इसलिए रातों रात बोरिया-बिस्तर समेटना आरंभ कर दिया गया है.!
रोहिंग्या और बंगलादेशी केवल इस आशा में भारत में घुसते आये हैं कि देर-सवेर वोटबैंक के भूखे स्थानीय छुटभैय्ये नेताओं के सहयोग से भारत की नागरिकता सहित विशेष अधिकार मिलते रहे हैं, व मिलते रहेंगे...।
नासंबि और रानापं में राष्ट्रीय नागरिकता पंजिका NRC ने इस सुविधा को समाप्त कर दिया है, अब सौ वर्ष भी भारत में रहोगे, तो भी नागरिकता मिलने वाली नहीं है, इसलिए निराश होकर वापस लौट रहे हैं...।
नासंबि और रानापं वो अचूक शस्त्र हैं जिसके कारण एक एक घुसपैठिया स्वयं ही वापिस लौट जायेगा, सरकार को न तो कोई बल उपयोग करने की आवश्यकता पड़ेगी और न ही उनकी वापसी के लिए एक रूपया व्यय करना पड़ेगा...।
घुसपैठियों को स्वत: वापस लौटने को विवश करने के लिए बहुत ही सोच समझकर, सरकार ने नागरिकता कानून बनाया है.!
और जो घुसपैठिये पहले ही नागरिकता लेकर हमारे आपके बीच में घुल-मिल गए हैं, उन्हें भी रानापं के माध्यम से चिन्हित करके वापस जाने के लिए विवश होना ही है।
हाँ जो भारतीय मुस्लिम हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी भारतीय हैं, उन्हें बिल्कुल चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है, सरकार उन्हें पूरा संरक्षण देगी और यह न्यायोचित भी है। सरकार देश को घुसपैठियों से मुक्त करना चाहती है, मुसलमानों से नहीं.! इतना समझने वाले देशभक्त मुसलमान तक भी, इस विधेयक का समर्थन करते हैं।
जिसका समर्थन वो सभी देशवासी करते हैं, जो देश से प्रेम करते हैं। तो फिर कौन लोग हैं जो इसके विरोध में धरना प्रदर्शन ही नहीं, सरकारी सम्पत्ति अर्थात हमारे कर दाताओं की सार्वजनिक सम्पत्ति को नष्ट करते हैं। ऐसे नमकहराम शत्रुओं की पहचान की आवश्यकता देखते हुए, कई वर्षों के पश्चात पुनः अपने पुराने ब्लाग लेखन की ओर मुड़ा हूं।
आइए इस विषय को ध्यान से पूरा पढ़ें, समझें व पूर्व की भांति, अग्रेषित कर १३० करोड़ भारतीयों तक पहुंचाएं। जो भ्रमित हैं, वे राष्ट्र के शत्रुओं को पहचान कर उनका साथ छोड़ सकें।
कृपया न तो कोई दुष्प्रचार फैलाए और न किसी गलत अफवाह पर कोई ध्यान दें। आप हिन्दू हों या मुस्लिम, यदि आप भारतीय हैं, तो नासंबि और रानापं से आपको ही लाभ है, क्षति नहीं.! इससे आपके रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और, देश अपराधमुक्त होगा, देश में सुख-शांति, अमन चैन लौटेगा।
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